सफलता का मूल मंत्र success formula in hindi

भगवत गीता के अनुसार सफलता का सूत्र 

success formula in hindi
भगवत गीता के अनुसार सफलता का सूत्र

भगवत गीता के अनुसार भगवान कृष्ण ने सफलता का सूत्र हजारों वर्ष पूर्व अर्जुन के माध्यम से सारी सृष्टि को बता दिया था।

जब तक मनुष्य अपने मन को केंद्र बिंदु में रखकर कार्य नहीं करता है। तब तक वह सफल नहीं हो पाता है। वह मात्र समय को नष्ट करता है। और इस तरह उसका जीवन तथा लक्ष्य दोनों ही नष्ट हो जाते हैं। किसी भी सफलता के पीछे मन को केंद्रित करके, उस योजना में कार्य करना बहुत जरूरी होता है।

अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करना हो, अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त करना हो, तो मन को अनियंत्रित होने से रोकना तथा इंद्रिय विषयों के प्रति आसक्ति से उसे हटाना बहुत जरूरी होता है,

यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप अपने लक्ष्य के प्रति कितने गंभीर हैं, आप अपने उद्देश्य को पाने के लिए कितने सजग हैं जागरूक, अगर आपका मन चंचल होगा। आपका मन बार-बार प्रभावित होगा। तो आपके लिए सफलता बहुत मुश्किल लगने लगेगा।

मनुष्य को चाहिए कि अपने मन की सहायता से अपना उद्धार करें और अपने को नीचे गिरने न  दे। यह  मन बुद्धि जीव का मित्र भी है और शत्रु भी।

जिस मनुष्य ने सफलता के लिए अपने मन को मित्र बना लिया, अपना दोस्त बना लिया उसका समय नष्ट नहीं होता है।  और जिस मनुष्य ने अपने मन से ही दुश्मनी कर ली, उसका समय नष्ट होते रहता है।  जो अपने मन को वश में नहीं कर सकता है।  वह सतत अपने परम शत्रु के साथ निवास करता है।  उसे शत्रु की आवश्यकता नहीं है।  वह अपने लक्ष्य से भटकता ही रहता है।  अगर आपको सफलता चाहिए, तो आप जब तक अपने मन को नियंत्रित नहीं करेंगे, तब तक मन  जीवित शत्रु बना रहेगा।  तब तक मनुष्य विजय प्राप्त नहीं कर सकता है।  मनुष्य अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता है। 

जिसने मन को जीत लिया है उसके लिए मन सर्वश्रेष्ठ मित्र है किंतु जो ऐसा नहीं कर पाया उसके लिए मन सबसे बड़ा शत्रु बना रहेगा।  

और यही असफलता का कारण बन जाता है। तो सफलता के लिए अपने मन को नियंत्रित करके अपनी योजना में काम कीजिए, ताकि आपको सफलता मिल सके।  

धन्यवाद्

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