गायत्री मंत्र लेखन के लाभ
गायत्री मंत्र का बार बार
जाप, ध्यान , और लेखन से हमारे इंद्रियों का एकाग्रता बढ़ता है और बार-बार इस मंत्र
का उच्चारण , करने से या लिखने से या जाप करने से या ध्यान करने से हमारे दिमाग में
सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती जाती है , सनातन काल से या प्राचीन काल से गायत्री मंत्र का
महत्व देखने को मिलता है गायत्री मंत्र एक महामंत्र है गायत्री एक दिव्य ज्ञान है इसी
कारण इसे वेदमाता भी कहा गया है इसकी उपासना से मनुष्य देवता बन जाता है , इसी कारण
गायत्री माता को विश्वमाता भी कहा गया है
गायत्री मंत्र ( gayatri mantra)
"ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ "
"Om Bhuur-Bhuvah Svah Tat-Savitur-Varennyam Bhargo Devasya Dhiimahi Dhiyo Yo Nah Pracodayaat ||"
गायत्री मंत्र का हिंदी अर्थ (gayatri mantra ka hindi arth)
गायत्री मंत्र का हिंदी में अर्थ :- "उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।"
गायत्री मंत्र
लेखन के नियम (gayatri mantra likhne ke niyam)
गायत्री मंत्र लेखन करते समय गायत्री मंत्र के अर्थ का मन में चिंतन करते रहना चाहिए Iगायत्री मंत्र लिखते समय शीघ्रता नहीं करनी चाहिए बल्कि उसको स्पष्ट और शुद्ध रूप से लिखना चाहिए Iगायत्री मंत्र जो पुस्तक होती है उसको उपयुक्त स्थान पर स्वच्छ रूप से रखना चाहिए क्योंकि उस पुस्तक पर मंत्र का लेखन किया गया हैIगायत्री मंत्र का लेखन किसी भी समय किसी भी स्थिति में या व्यस्त हो या अस्वस्थ व्यक्ति भी कर सकता है परंतु स्वच्छ जगह में ही लेखन करें
गायत्री मंत्र लिखने का महत्व (gayatri mantra likhne ka mahatva)
हवन करने से मंत्र में प्राण आते हैं जाप करने से मंत्र जागृत होता है और लिखने से मंत्र की शक्ति आत्मा में प्रकाशित होती है ,अगर गायत्री मंत्र का लेखन किया जाए तो उसका फल जाप से 10 गुना अधिक होता है ,शास्त्रों के अनुसार गायत्री मंत्र लेखन एक अत्यंत महत्वपूर्ण साधना विधि है इसे स्त्री पुरुष बाल सभी प्रसन्नता पूर्वक भाग ले सकते हैं किसी प्रकार का कोई प्रतिबंध नहीं होता है जब भी समय मिले गायत्री मंत्र लेखन किया जा सकता है 24000 मंत्र जाप करना एक अनुष्ठान के बराबर होता है
गायत्री मंत्र जाप की अपेक्षा मंत्र लेखन का पुण्य 10 गुना अधिक होता है अतः 2400 मंत्र लेखन से एक अनुष्ठान पूर्ण हो जाता है , गायत्री मंत्र लेखन का महत्व कम नहीं माना जाता है मंत्र जाप से इसका महत्व अधिक है मंत्र जाप करते समय उंगलियों से जाप और जीव से उच्चारण होता है, मन को इधर-उधर भागने की काफी गुंजाइश रहती है परंतु गायत्री मंत्र लेखन के समय हाथ आंख मस्तिष्क और सभी सभी इंद्रियां एकाग्र चित्त हो जाती है लिखने का कार्य एकाग्रता करता है , मन को वश में करके एकाग्र भाव की साधना मंत्र लेखन में भली-भांति बन पड़ती है इसलिए इसका महत्व भी अधिक माना गया है
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