मकर संक्रांति त्योहार का महत्व और उसकी पूजा विधि
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मकर संक्रांति पूजा विधि |
भारत देश में बहुत सारे त्यौहार मनाए जाते हैं , इसी कारण भारत को त्योहारों का देश भी कहा गया है , उन्हीं में से मकर संक्रांति का विशेष महत्व है , भारत में सनातन काल से मकर संक्रांति त्योहार मनाया जाता है मकर संक्रांति में सूर्य भगवान की विशेष आराधना की जाती है पुण्य काल में गंगा स्नान या किसी तीर्थ में स्नान करके दान दक्षिणा या प्रसाद बांटना विशेष महत्व रखता है , वैसे तो संक्रांति 12 बार हर राशि में हर साल होता है परंतु मकर और कर्क राशि में सूर्य का प्रवेश का विशेष महत्व है , जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है तो यह मकर संक्रांति कहलाता है अर्थात जब सूर्य शनि के घर में प्रवेश करता है तो इसे पिता पुत्र का मिलन भी कहा जाता है , भगवान शनि मकर और कुंभ राशि के राशि स्वामी है जब सूर्य भगवान मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दिन अगर भगवान सूर्यनारायण का सही से पूजा विधि किया जाए तो इसका महा पुण्य फल मिलता है , और ग्रह प्रबल होते हैं और कुंडली में जो बाधाएं चल रही हैं वह दूर होती है।
भगवान सूर्यनारायण प्रत्यक्ष दिखने वाले देवता हैं जब भगवान सूर्यनारायण दक्षिणायन को छोड़कर उत्तरायण की ओर प्रवेश करते हैं तो हमारे अंदर सकारात्मकता का भाव लाते हैं और हम सकारात्मक कार्य करने के लिए प्रबल मनोयोग से कार्य में जुड़ जाते हैं इसी कारण मकर संक्रांति के दिन शुभ मुहूर्त में स्नान करना विशेष महत्व रखता है भारतवर्ष में कई जगह गंगा स्नान या पवित्र जल में स्नान करके दान पूर्ण किया जाता है और कई जगह अपने पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए भी उसका तर्पण किया जाता है उत्तर भारत में इसे खिचड़ी का भी त्यौहार कहा जाता है और कई जगह खिचड़ी भी प्रसाद के रूप में बांटा जाता है साथ ही साथ मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ का भी प्रसाद बांटा जाता है या तो इसे ग्रहण किया जाता है ताकि बेहतर स्वास्थ्य हो और कार्य में प्रगति होते रहे
मकर संक्रांति पर्व का पौराणिक मान्यता (makar sankranti parv ki pauranik manyta)
मकर संक्रांति के दिन पौराणिक मान्यता के अनुसार गंगा जी भागीरथी के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में जा मिली थी।
पौराणिक मान्यता के अनुसार मैया यशोदा ने कृष्ण भगवान को प्राप्त करने के लिए मकर संक्रांति के दिन पूजा और उपासना की थी ।
द्वापर युग में महारथी भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। परंतु महाभारत काल में जब युद्ध हुआ तो अर्जुन ने भीष्म पितामह को बाणों की शैया में सुला दिया। परंतु उचित समय नहीं होने की वजह से भीष्म पितामह ने अपने प्राणों का त्याग नहीं किया परंतु जब सूर्य भगवान उत्तरायण की ओर या मकर राशि में प्रवेश किए, तो उस समय भीष्मा पितामह ने अपने प्राणों का परित्याग किया और वह मोक्ष की प्राप्ति किए ।
मकर संक्रांति की पूजा विधि (makar sankranti puja vidhi)
जो लोग मकर संक्रांति को मानते हैं अर्थात भगवान सूर्य नारायण की पूजा उपासना करते हैं उसके लिए यह विशेष महत्व रखता है ।
मकर संक्रांति का पूजा करने से पहले पुण्य मुहूर्त काल और महा पुण्य मुहूर्त काल का पता कर ले पूजा के स्थान को स्वच्छ और शुद्ध कर ले ,ब्रह्म मुहूर्त में उठें और विशेष मुहूर्त काल में स्नान करके पूजा आरंभ करें ,शुद्ध थाली में अपनी भावनाओं के अनुसार काले तिल का लड्डू रखें और सफेद तिल का लड्डू रखें ,एक थाली में चावल का आटा हल्दी का मिश्रण सुपारी पान के पत्ते गंगाजल अगर गंगाजल ना हो तो शुद्ध जल लाल रोली लाल पुष्प और अगरबत्ती रखा जाता है फिर भगवान को प्रसाद के रूप में काली तिल सफेद तिल और कुछ मिठाइयां और कुछ पैसे दक्षिणा के रूप में दिया जाता हैभगवान सूर्य नारायण को प्रसाद चढ़ाते हुए अपनी भावनाओं को अर्पित करते हुए अंतिम में उसकी आरती की जाती है महिला हो या पुरुष पूजा करने के समय स्वच्छ वस्त्र धारण करें महिलाएं विशेष लाल रंग का वस्त्र धारण करें और अपने सर को ढक के रखें भगवान सूर्यनारायण को लाल रंग अति प्रिय है Iप्रसाद को चढ़ाते हुए सूर्य गयात्री मंत्र का 21 बार या 108 बार या गायत्री मंत्र का 21 बार या 108 बार जरूर जाप करें ताकि आपको विशेष लाभ मिल सके।
गायत्री मंत्र:- (gayatri mantra)
"ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ "
"Om Bhuur-Bhuvah Svah Tat-Savitur-Varennyam Bhargo Devasya Dhiimahi Dhiyo Yo Nah Pracodayaat ||"
सूर्य गायत्री मंत्र:- (surya gayatri mantra)
"ऊँ आदित्याय विद्महे प्रभाकराय धीमहि तन्न: सूर्य प्रचोदयात् II"
II Om adityay vidmahe prbakray dheemahi tann: suryo prchodayat ll
मकर संक्रांति पूजा से होने वाले लाभ (makar sankranti puja se hone wale labh )
भगवान सूर्यनारायण इस ब्रह्मांड की चेतना का आधार है , भगवान सूर्य नारायण की पूजा करने से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बहुत सारे लाभ प्राप्त होते हैं , भगवान सूर्यनारायण प्रत्यक्ष दिखने वाले देवता हैं , भगवान सूर्य की नित्य पूजा करने से सूर्य भगवान की घोड़े के समान हमारे जीवन को उच्चतम और श्रेष्ठ की ओर ले जाता है ,जैसे भगवान सूर्यनारायण की रोज पूजा करने से सकारात्मकता ऊर्जा बढ़ती जाती है , जिससे शारीरिक बल , बुद्धि बल , विद्या बल , धन बल, संगठन बल ,चरित्र बल ,आत्मा बल, 7 बल जीवन को प्रकाशित, प्रतिष्ठित और संपन्न बनाने के लिए बहुत ही आवश्यकता होती है।
मकर संक्रांति पर्व पर स्नान दान और पुण्य कर्म का विशेष महत्व
मकर संक्रांति के दिन लोग शरीर में गुड़ या तील लगाकर स्नान करते हैं , पवित्र जल या शुद्ध जल में स्नान करके भगवान सूर्य नारायण को जल अर्घ्य दिया जाता है , और उसकी पूजा की जाती है और साथ में शुद्ध मन से अपनी भावनाओं को अर्पित करते हुए अपने मन वांछित फल को बोलते हुए भगवान सूर्यनारायण की साधना करते हैं , पूजा समाप्त होने के बाद अपनी भावनाओं के अनुसार गुड़ तिल या कंबल यदि किसी वस्तु का दान किया जाता है , साथ में खिचड़ी का भोग भी भगवान सूर्यनारायण को लगाना चाहिए और खिचड़ी का प्रसाद भी लोगों में वितरण करना चाहिए।
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