जीवन को सफल बनाने के लिए कठोर परिश्रम करना पड़ता है
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work hard |
फर्क इस बात से नहीं पड़ता है, की लोग तुम्हारे
बारे में क्या सोचते है। बल्कि आपको फर्क इस बात से पड़ना चाहिए, की आप अपने बारे
में क्या सोचते हो।
समय बड़ा अनमोल है ,एक बार समय चला जाता है, तो दुबारा लौट के नहीं आता है चाहे आप कितना भी प्रयास कर लो समय वापस नहीं आएगा। अगर आपको अपने जीवन को सफल बनाना है, तो आपको पुरे लगन के साथ कठोर परिश्रम करना होगा। सही योजन बनाना के पूरा अपना मेहनत लगाना पड़ेगा, तब जा के आपको सफलता हासिल होगा।
समय के साथ बहुत सारे लोग जल्दी ही हर माना जाते है, और लक्ष्य के बीच रास्ते में ही हिंम्मत हर कर काम करना छोड़ देते है। ऐसे लोग जल्दी हताश ,निराश और कुंठित हो जाते है। और काम करना बंद कर देते है , जबकि ऐसे लोग लक्ष्य के काफी करीब जा के हिम्मत हारते है, बहुत सारे लोग बीच रास्ते में ही अपने योजन को परवर्तित कर के किसी दूसरे काम में लग जाते है, और बार बार अपने लक्ष्य को परवर्तित करने से कभी भी सफलता हासिल नहीं कर पाते है, अंत में बहुत निराश हो जाते है ,और अपनी हिम्मत खुद ही तोड़ लेते है। ऐसे व्यक्ति सफलता तो क्या सफलता से कोसो दूर होता है।
आप कोई भी लक्ष्य बना के काम करो, अगर आपको उस लक्ष्य में सफलता पाना है, तो आपको कठोर परिश्रम करना पड़ेगा। पुरे ईमानदारी के साथ तभी आपको सफलता मिलेगा।
मेरे प्यारे दोस्तों आप परिश्रम से न घबराये, जल्दी हताश या निराश मत हो, आपका लक्ष्य जीतन बड़ा होगा आपको उतना ज्यादा परिश्रम करना पड़ेगा, और आपका यही परिश्रम एक दिन आपके सफलता को शत प्रतिशत निश्चित कर देगा। जो व्यक्ति जीतन ज्यादा परिश्रम करता है उसको एक दिन जरूर सफलता मिलती है।
गीता में भगवान कृष्ण कहते है - जो कर्म करता है उसे जरूर फल मिलता है, परन्तु जो कर्म ही नहीं करता है उसे कैसे फल मिलेगा। अगर अपने कर्म किया है तो फल जायेगा कहा, एक न एक दिन आपको वह फल जरूर मिलेगा , इसमें लेस मात्रा भी संशय नहीं करना चाहिए। अर्थात आप कर्म करने में ध्यान दो , फल की इच्छा को त्याग कर के कर्म करते जाओ। आपका फल कही नहीं जाने वाला है वह आपको मिलेगा ही। यही निष्काम कर्म योग है।
उदाहरण से समझते है
सोना को जितना तपाया जाता है। सोने की चमक उतनी बढ़ती जाती है। और उसका मूल्य भी बढ़ते जाता है।
सड़क पर पड़े पत्थर को कोई महत्व नहीं होता है, परन्तु उसी पत्थर को कोई शिल्प्कार सुन्दर आकृति में परावर्ती कर दे, तो वह पत्थर बहुमूल्य हो जाता है। और उस पत्थर का सम्मान होने लगता है।
हीरा कैसे बनता है, आप सभी जानते होंगे, जब कोयले के खान में कोयले पर अत्यधिक दाब और तप पड़ता है, तो कोयल भी हीरा में परवर्तित हो जाता है। और हीरा कितना बहमूल्य है आप सभी जानते है।
वैसे ही हम अगर अपने जीवन को सफल बनाना चाहते है तो सभी समस्याओ को दूर करते हु, हिम्मत जुटा के निरंतर प्रयास करना होगा। सही लक्ष्य का निर्धारण और सही योजन बना के पुरे ईमानदारी के साथ कठोर परिश्रम करना होगा। तभी लक्ष्य में सफल हो पाएंगे।
यह आर्टिकल कैसे लगी आपको और कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर देना।
धन्यवाद
समय बड़ा अनमोल है ,एक बार समय चला जाता है, तो दुबारा लौट के नहीं आता है चाहे आप कितना भी प्रयास कर लो समय वापस नहीं आएगा। अगर आपको अपने जीवन को सफल बनाना है, तो आपको पुरे लगन के साथ कठोर परिश्रम करना होगा। सही योजन बनाना के पूरा अपना मेहनत लगाना पड़ेगा, तब जा के आपको सफलता हासिल होगा।
समय के साथ बहुत सारे लोग जल्दी ही हर माना जाते है, और लक्ष्य के बीच रास्ते में ही हिंम्मत हर कर काम करना छोड़ देते है। ऐसे लोग जल्दी हताश ,निराश और कुंठित हो जाते है। और काम करना बंद कर देते है , जबकि ऐसे लोग लक्ष्य के काफी करीब जा के हिम्मत हारते है, बहुत सारे लोग बीच रास्ते में ही अपने योजन को परवर्तित कर के किसी दूसरे काम में लग जाते है, और बार बार अपने लक्ष्य को परवर्तित करने से कभी भी सफलता हासिल नहीं कर पाते है, अंत में बहुत निराश हो जाते है ,और अपनी हिम्मत खुद ही तोड़ लेते है। ऐसे व्यक्ति सफलता तो क्या सफलता से कोसो दूर होता है।
आप कोई भी लक्ष्य बना के काम करो, अगर आपको उस लक्ष्य में सफलता पाना है, तो आपको कठोर परिश्रम करना पड़ेगा। पुरे ईमानदारी के साथ तभी आपको सफलता मिलेगा।
मेरे प्यारे दोस्तों आप परिश्रम से न घबराये, जल्दी हताश या निराश मत हो, आपका लक्ष्य जीतन बड़ा होगा आपको उतना ज्यादा परिश्रम करना पड़ेगा, और आपका यही परिश्रम एक दिन आपके सफलता को शत प्रतिशत निश्चित कर देगा। जो व्यक्ति जीतन ज्यादा परिश्रम करता है उसको एक दिन जरूर सफलता मिलती है।
गीता में भगवान कृष्ण कहते है - जो कर्म करता है उसे जरूर फल मिलता है, परन्तु जो कर्म ही नहीं करता है उसे कैसे फल मिलेगा। अगर अपने कर्म किया है तो फल जायेगा कहा, एक न एक दिन आपको वह फल जरूर मिलेगा , इसमें लेस मात्रा भी संशय नहीं करना चाहिए। अर्थात आप कर्म करने में ध्यान दो , फल की इच्छा को त्याग कर के कर्म करते जाओ। आपका फल कही नहीं जाने वाला है वह आपको मिलेगा ही। यही निष्काम कर्म योग है।
उदाहरण से समझते है
सोना को जितना तपाया जाता है। सोने की चमक उतनी बढ़ती जाती है। और उसका मूल्य भी बढ़ते जाता है।
सड़क पर पड़े पत्थर को कोई महत्व नहीं होता है, परन्तु उसी पत्थर को कोई शिल्प्कार सुन्दर आकृति में परावर्ती कर दे, तो वह पत्थर बहुमूल्य हो जाता है। और उस पत्थर का सम्मान होने लगता है।
हीरा कैसे बनता है, आप सभी जानते होंगे, जब कोयले के खान में कोयले पर अत्यधिक दाब और तप पड़ता है, तो कोयल भी हीरा में परवर्तित हो जाता है। और हीरा कितना बहमूल्य है आप सभी जानते है।
वैसे ही हम अगर अपने जीवन को सफल बनाना चाहते है तो सभी समस्याओ को दूर करते हु, हिम्मत जुटा के निरंतर प्रयास करना होगा। सही लक्ष्य का निर्धारण और सही योजन बना के पुरे ईमानदारी के साथ कठोर परिश्रम करना होगा। तभी लक्ष्य में सफल हो पाएंगे।
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धन्यवाद
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