सूर्य भगवान की पूजा विधि, महत्व और 25 पूजा के फायदे (Worship of Sun God method, importance and benefits of 25 worship)
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surya dev ki puja ke labh |
भगवान सूर्य नारायण की पूजा आदि काल से किया जा रहा है प्राचीन ग्रंथों, ऋषि मुनि , महर्षि , योगियों ने भगवान सूर्यनारायण की बहुत से पूजा, महत्व और लाभ के विधियों का वर्णन किया गया है, भगवान सूर्य को सविता कहा जाता है और सविता ब्रह्मांड की आत्मा है ब्रह्मांड में बहुत सारे सूर्य हैं और अलग-अलग जगह प्रकाश फैलते हैं, भगवान सूर्य नारायण के प्रकाश से इस सृष्टि का संचालन होता है भगवान सूर्य नारायण की कृपा की वजह से ही हमारे अंतर्मन और हमारे चेतना का विकास होता है, इस सौरमंडल में भी भगवान सूर्य नारायण की कृपा हम पर सदा बनी रहती है, और भगवान सूर्यनारायण हमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से हमेशा लाभ पहुंचाते रहते हैं, भगवान सूर्यनारायण इस कलयुग में प्रत्यक्ष दिखने वाले देवता है, भगवान सूर्यनारायण के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है वह हमारे जीवन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पूर्ण रूप से प्रभावित करता है, भगवान सूर्य नारायण की पूजा करने से भौतिक और अध्यात्मिक दोनों लाभ प्राप्त होते हैं, जब सूर्य का उदय होता है तो भगवान सूर्य की कृपा से इस पृथ्वी में प्रकाश फैलने लगता है, तो पूरा अंधकार प्रकाशमय हो जाता है, और भगवान सूर्य नारायण निरन्तर गतिशील रहता है, भगवान सूर्य हमेशा हमारे जीवन में प्रकाश और एक नये आशा को जन्म देते है, भगवान सूर्य की कृपा से इस धार में जीवन संभव हो पाया है, हमारे ऊर्जा का स्रोत है , मानसिक चेतन ,शारीरक शक्ति के जनक है भगवान सूर्य नारायण के बिना यह पृथ्वी अंधकारमय हो जायेगा। न ही इस पृथ्वी में जीवन संभव हो पायेगा।
पौराणिक महत्व
भगवान राम प्रतिदिन भगवान सूर्य की पूजा किया करते थे , जब रावण का वधा किया, उसे पहले भगवान राम ने महर्षि अगस्त्य के कहने पर आदित्यह्रदय स्त्रोत का ३ बार पाठ किया और अंत में भगवान राम की रावण पर जीता हुई।
महारथी कर्ण को कौन नहीं जनता है कर्ण प्रतिदिन सूर्य भगवान की पूजा करते थे और इतना बलवान हो गए थे , जब महाभारत के युद्ध में अर्जुन पर अपना बाण चलते थे, तो रथ ३ कदम पीछे चला जाता था , और आप सभी जानते ही होंगे उस रथ में भगवान कृष्ण सारथी और हनुमान जी भी विराजमान थे, उसके बाद भी ३ कदम पीछे चला जाता था , यह भगवान सूर्य नारयण की पूजा के प्रताप के कारण ही हुआ।
वैज्ञानिक परिदृश्य से समझने की कोशिश करे तो भी सूर्य का महत्व काम नहीं है , सूर्य के कारण ही पृथ्वी में इकोसिस्टम का डेवलपमेंट होता है। फ़ूड चैन बनाने में मदद करता है, ऋतुवों में परिवर्तन करता है , पृथ्वी भी हमेशा गतिशील रहती है , सूर्य के चाकर लगती रहती है, हवा का बहाव ,वर्षा का होना ,कार्बन चक्र , नाट्रोजन चक्र, सल्फर चक्र ,ओजोन निर्माण, तप का संतुलन , पेड़ पौधो को प्रकाश देखकर भोजन बनाने में मदद करना , हमारे शरीर में विटामिन, मिनरल की कमी को दूर करना , हडियो को मजबूत करना इत्यादि बहुत से उदाहरण है। बिना सूर्य के पृथ्वी में जीवन संभव ही नहीं है।
जो जीवन देता है वही तो भगवान है , भगवान सूर्य का महत्त्व हमारे जीवन में कभी काम नहीं हो सकता है, अत: आप सभी को रोज़ भगवान सूर्य नारायण को इसके लिए हमेशा धन्यवाद् करना चाहिए।
भगवान सूर्य की पूजा विधि
भगवान सूर्य की पूजा के लिए शास्त्रों में अनेक मंत्र और पूजा विधि बताया गया है , परन्तु गायत्री मंत्र , सूर्य गायत्री मंत्र या सूर्य भगवान के कोई भी एक मंत्र का उपयोग कर के आप भगवान सूर्य नारायण की कृपा प्राप्त कर सकते है , अपनी भावना पुरे मन से भगवान को अर्पित कर के पूजा करे। जैसे आप भगवान को जल अर्घ देकर पूजा कर सकते है इसका विशेष महत्व है , आदित्यहृदय स्रोत पाठ ,सूर्य उपसना, सूर्याष्टकम साधन ,गायत्री मंत्र ,सूर्य गायत्री मंत्र इत्यादि से पूजा कर के भगवान सूर्य की कृपा पाया जा सकता है।
भगवान सूर्य को जल अर्घ देने की कुछ विधि
भगवान सूर्य को जल देने का सबसे अच्छा समय प्रातःकाल को होता है , जब सूर्य का उदिता होते रहे, यह समय सब से बेहतर माना जाता है , इस समय भगवान सूर्य की किरणों की लालिमा फैली होती है , और इन किरणों में स्वर्ण और चांदी धातु की किरणे प्रकाश के साथ होती है , जो हमारे शरीर के कोशिका विकास के लिए महत्वपूर्ण होती है ,और मानसिक तरंगो को सकरात्मक बनती है , इस समय अगर स्नान कर के जल अर्घ दिया जाये, तो बहुत अच्छा लाभ मिलता है। इस समय पूर्व दिशा में खड़े होकर भगवान सूर्य को तांबे या अन्य लोटा में भरे जल को अपने सर के ऊपर उठा के भगवान सूर्य नारयण को देखते हु, त्राटक करते हुआ जल अर्घ देना अत्यंत लाभ दायक होता है, और साथ में अपनी भावना भी भगवान को अर्पित करे , और कोई भी मंत्र हो भगवान सूर्य का उसको जरूर ध्यान करे , जैसे गायत्री मंत्र , सूर्य गायत्री मंत्र , या सूर्य मंत्र इत्यादि , कोई एक मंत्र का कम से काम ३ या ५ बार जरूर बोले और अधिक से अधिक आप जितना बार बोल सकते है।
वैज्ञानिक परिदृश्य से समझने की कोशिश करे तो भी सूर्य का महत्व काम नहीं है , सूर्य के कारण ही पृथ्वी में इकोसिस्टम का डेवलपमेंट होता है। फ़ूड चैन बनाने में मदद करता है, ऋतुवों में परिवर्तन करता है , पृथ्वी भी हमेशा गतिशील रहती है , सूर्य के चाकर लगती रहती है, हवा का बहाव ,वर्षा का होना ,कार्बन चक्र , नाट्रोजन चक्र, सल्फर चक्र ,ओजोन निर्माण, तप का संतुलन , पेड़ पौधो को प्रकाश देखकर भोजन बनाने में मदद करना , हमारे शरीर में विटामिन, मिनरल की कमी को दूर करना , हडियो को मजबूत करना इत्यादि बहुत से उदाहरण है। बिना सूर्य के पृथ्वी में जीवन संभव ही नहीं है।
जो जीवन देता है वही तो भगवान है , भगवान सूर्य का महत्त्व हमारे जीवन में कभी काम नहीं हो सकता है, अत: आप सभी को रोज़ भगवान सूर्य नारायण को इसके लिए हमेशा धन्यवाद् करना चाहिए।
भगवान सूर्य की पूजा विधि
भगवान सूर्य की पूजा के लिए शास्त्रों में अनेक मंत्र और पूजा विधि बताया गया है , परन्तु गायत्री मंत्र , सूर्य गायत्री मंत्र या सूर्य भगवान के कोई भी एक मंत्र का उपयोग कर के आप भगवान सूर्य नारायण की कृपा प्राप्त कर सकते है , अपनी भावना पुरे मन से भगवान को अर्पित कर के पूजा करे। जैसे आप भगवान को जल अर्घ देकर पूजा कर सकते है इसका विशेष महत्व है , आदित्यहृदय स्रोत पाठ ,सूर्य उपसना, सूर्याष्टकम साधन ,गायत्री मंत्र ,सूर्य गायत्री मंत्र इत्यादि से पूजा कर के भगवान सूर्य की कृपा पाया जा सकता है।
भगवान सूर्य को जल अर्घ देने की कुछ विधि
भगवान सूर्य को जल देने का सबसे अच्छा समय प्रातःकाल को होता है , जब सूर्य का उदिता होते रहे, यह समय सब से बेहतर माना जाता है , इस समय भगवान सूर्य की किरणों की लालिमा फैली होती है , और इन किरणों में स्वर्ण और चांदी धातु की किरणे प्रकाश के साथ होती है , जो हमारे शरीर के कोशिका विकास के लिए महत्वपूर्ण होती है ,और मानसिक तरंगो को सकरात्मक बनती है , इस समय अगर स्नान कर के जल अर्घ दिया जाये, तो बहुत अच्छा लाभ मिलता है। इस समय पूर्व दिशा में खड़े होकर भगवान सूर्य को तांबे या अन्य लोटा में भरे जल को अपने सर के ऊपर उठा के भगवान सूर्य नारयण को देखते हु, त्राटक करते हुआ जल अर्घ देना अत्यंत लाभ दायक होता है, और साथ में अपनी भावना भी भगवान को अर्पित करे , और कोई भी मंत्र हो भगवान सूर्य का उसको जरूर ध्यान करे , जैसे गायत्री मंत्र , सूर्य गायत्री मंत्र , या सूर्य मंत्र इत्यादि , कोई एक मंत्र का कम से काम ३ या ५ बार जरूर बोले और अधिक से अधिक आप जितना बार बोल सकते है।
गायत्री मंत्र
"ॐ भूभुर्व : स्वः तत्स्वितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न : प्रचोद्यात "
सूर्य गायत्री मंत्र
"ॐ आदित्याय विद्महे , प्रभाकराय धीमहि ,तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्। "
सूर्य मंत्र
"ॐ घृणि सूर्याय नमः "
अर्घ देने वाले जल में क्या मिलाये
शिक्षा और बौद्धिक विकास के लिए जल में- नीलरंग ,कोई मीठा खाद्य मिश्री मिलाये .
सफलता,सिद्धि,धन,और स्वस्थ के लिए रोली ,अक्षत, लाल चंदन ,मिश्री, लाल पुष्प अर्पित करे ,अगर आपके आपस गुरहर का पुष्प है तो और अच्छा है , नहीं है तो कोई बात नहीं.कर्जा मुक्ति या फास हुआ धन निकलने के लिए जल में कल तिल जरूर मिलाये, और सभी ग्रह शांति या अच्छे जीवन के लिए आप स्वच्छ जल को अर्पित कर सकते है , अर्घ दिए हु जल को अपने हाथ से छूकर अपने माथे
और आखो में जरूर स्पर्श करे और भगवान से प्राथना करे की उनकी कृपा आप पर बने रहे,बरसते रहे।
याद रखे भगवान भावना के भूखे है आपका प्रेम जीतन ज्यादा समर्पित होगा, भगवान की कृपा आपकोउतना ज्यादा मिलेगा।
कोशिश करें अभिमंत्रित जल आपके पैर में न गिरे। नहीं तो इसका जीतना फल आपको मिलने वाला था वह फल काम हो सकता है ,अब ये सूर्य भगवान पर निर्भर करता है , बहुत सारे ज्योतिष ऐसा बोलते है , जल को किसी पौधे में गिरा दे या तुलसी की क्यारी में गिरा दे या बाल्टी में गिरा कर किसी पौधे में डाल दे तो ये अच्छा रहेगा।
भगवान सूर्य की पूजा करने से बहुत सारे लाभ होता है
जैसे भगवान सूर्यनारायण की रोज पूजा करने से सकारात्मकता ऊर्जा बढ़ती जाती है जिससे शारीरिक बल , बुद्धि बल , विद्या बल , धन बल, संगठन बल ,चरित्र बल ,आत्मा बल, 7 बल जीवन को प्रकाशित, प्रतिष्ठित और संपन्न बनाने के लिए बहुत ही आवश्यकता होती है, बुद्धि प्रखर होता है, पराकर्म बढ़ाता है ,मन एकाग्रचित होता है ,साधको की साधना तेजी से सिद्ध होता है, नवग्रह शान्त होता है, कुंडली में सूर्य की स्थित खरब हो तो सूर्य को जल अर्घ देने से मजबूत होता है, आत्मविश्वास में वृद्धि होता है ,डर खत्म हो जाता है , शत्रु का विनाश होता है ,पिता से सम्बन्ध अच्छा है ,आभामण्डल में वृद्धि होता है, पितृदोष शांत होता है, नौकरी ,व्यापर और प्रमोशन होता है , यश ,वर्चस, कीर्ति ,मन सम्मान में वृद्धि होता है शरीर स्वस्थ होता है, राहु केतु शान्त होता है, कमजोर ग्रह भी मजबूत होता है। आर्थिक लाभ ,पुरुषार्थ बढ़ता है ,रचनात्मक कार्य,कोर्टकचहरी के मामले में जीता होता है ,परीक्षा में सफलता और युद्ध जीता होता है, मन की उग्रता शान्त होता है, नेतृत्वा क्षमता का विकास है, पापों का नशा होता है , आध्यात्मिक उन्नति होती है , सुख समृद्धि , रिद्धि -सिद्धि प्राप्त होता है। भगवान सूर्यनारायण की रोज पूजा करने से हर समस्या का समधान होता है।
हमेशा ईश्वर की कृपा आप पर बनी रहे। अपनी अनुभव जरूर कमेंट कर के शेयर करे।
धन्यवाद। ...
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