आत्मविश्वास का मतलब ( meaning of self confidence )
आत्मविश्वास का मतलब |
आत्मविश्वास का मतलब क्या होता है ( meaning of self confidence )
आत्मविश्वास
जीवन को सरल बनाने का सबसे आसान गुण है, जब मनुष्य अपने आंतरिक शक्तियों और बाह्य शक्तियों
को समुचित रूप से उपयोग करता है। तो उसको जीवन में अनेक सफलता एक के बाद मिलते जाता
है। मनुष्य के द्वारा लिए गए संकल्प में सफलता
मिलते जाता है , जिसे उसका आत्मविश्वास बढ़ते ही जाता है , लेकिन जब वह अपने आतंरिक
और बाह्य शक्तियों का समुचित उपयोग नहीं कर पता है , तो जीवन में सफलता से असफलता प्राप्त
होता है। अर्थात संकल्प का पुर न होना, जिसे उस मनुष्य का आत्मविश्वास टूट जाता है,
और वह मनुष्य हर हुआ महसूस करता है , असहाय, निराशा,कुंठा, डर से ग्रसित हो जाता है।
आत्मविश्वास
को प्रभावित करने वाले दो कारक है
1.
मनुष्य की आंतरिक शक्ति - जब मनुष्य अपने आंतरिक शक्ति का समुचित उपयोग करना शुरू करता
है, अर्थात अपने इन्द्रियों को वश में करना, अपने इन्द्रियों को सही दिशा में लगाना,
अपने कार्यों में ध्यान देना इतियादी, वैसे ही अपने तीनों मन चेतन, अवचेतन, अतिचेतन
मन को संयमित कर अपने मन को कार्य में केंद्रित करना आपके आंतरिक शक्ति में वृद्धि
का संकेत देता है , साथ ही साथ जब आप अपने आध्यात्मिक शक्तियों का समुचित उपयोग अपने
जीवन के उन्नति के लिए करते हो तब आपका आत्मविश्वास दिनों दिन बढ़ने लगता है, जिसे आपको
अपने हर कार्यों में सफलता मिलने लगता है। आपके द्वारा लिए हुए संकल्प पूर्ण होता है,
यही गुना ही आपके आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
2.
मनुष्य की बाह्य शक्ति - जब मनुष्य अपने आंतरिक गुणों के साथ साथ बाहय शक्तियों का
उपयोग करता है , जैसे शारीरिक रूप से स्वस्थ रहकर कार्य करना, अच्छा आचरण करना, अपने
शारीरिक बल का पूर्ण उपयोग करना इतियादी, तो उस मनुष्य का विकास बहुत जल्द हो जाता
है। उदहारण के तौर पर - अगर आप एक स्टूडेंट है , आप आंतरिक से अच्छा सोचते है , अपने
पढ़ाई के लिए बहुत सिरियस है , अपने पढ़ाई के लिए अच्छा योजना भी बनाया है, लेकिन आप
शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं या आप शारीरिक रूप से मेहनत ही नहीं करते है , तो आपके
अच्छे योजना के बाद भी आपको असफलता ही मिलेगा। क्योकि अपने शारीरिक रूप से कार्य ही
नहीं किया। बस अपने सोचने और योजना बनाने में ही कार्य किया है , लेकिन वास्तविक अर्थात
बाह्य शक्तियों का उपयोग नहीं किया है, जिसे आपको अपने लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होगी
अर्थता आपका संकल्प पूर्ण नहीं होगा, जिसे आपका आत्मविश्वास गिर जायेगा, और आप निरशा,
कुण्ठ, असहाय इतियादी महसूस करेंगे।
मनुष्य
को अपने आत्मविश्वास को बढ़ने के लिए अपने दोनों शक्तियों ( आतंरिक और बाह्य शक्तियों
) का समुचित उपयोग करना चाहिए, जिसे इन्शान जल्द अपने जीवन में अच्छी सफल प्राप्त कर
सकता है। जब आप सफलता को प्राप्त करते है, अर्थात अपने संकल्प को पूर्ण करते है, तो
आपके अंदर की ऊर्जा आपके व्यवहार में झलकत है, आपका सकारत्मक ऐटिटूड बना जाता है, जिसे
इस दुनिया के लोगों ने आत्मविश्वास का नाम दिया है। आपको अपने आत्मविश्वास को बढ़ने
के लिए अपने आप पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। ताकि आप अपने अच्छे गुणों का ज्यादा से ज्याद विकास
कर सके, और अपने दुर्गुणों को जल्द से जल्द त्याग सके।
याद
रहे आपका आत्मविश्वास ही आपको एक दिन महान लक्ष्य हासिल कर सकता है, जीवन में कितना
भी कठिन परिस्थियों से गुजरो लेकिन अपने आत्मविश्वास को हमेशा बढ़ने का कर करते रहे।
ताकि आपका संकल्प पुर हो सके। और आपका आत्मविश्वास ही दिनों दिन बढ़ते ही जाये और एक
दिन आपका आत्मविश्वास ही वास्तविक सकारत्मक ऐटिटूड बन जाये।
धन्यवाद्...
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