शरीर के अंगों का फड़कना क्या होता है ( twitching of body parts astrology in hindi )
अंग फड़कने का मतलब |
अंग फड़कने का मतलब क्या होता है (twitching of body parts in hindi )
भारतीय
संस्कृति अपने आप में में बहुत से गुड़ रहस्य से भरा हुआ, भारतीय संस्कृति का आध्यात्मिक
और वैज्ञानिक परिद्रिश्य बहुत अद्धभुत है। भारतीय संस्कृति के बहुत से शास्त्रों के
अध्ययन से हम सबको बहुत से सूक्ष्म जानकारी प्राप्त होता है। इसी सूक्ष्म जानकरी में
अंगो के फड़कने के बारे में बताया गया है। सामुद्रिक शास्त्र में शरीर की बनावट, शरीर
की क्रिया, शरीर के नाड़ियों के माध्यम से अंगो के फड़कने के बारे में विस्तार से बताया
गया है।
अंग
फड़कने का आधात्मिक और वैज्ञानिक कारण संक्षिप्त में (
हम
सभी का शरीर आतंरिक और बाह्य अंग तीन शरीरों से मिलकर बना हुआ होता है, जिसमे स्थूलशरीर,
सूक्ष्मशरीर और कारण शरीर मौजूद होते है।
1.
स्थूलशरीर(पञ्चाहभूततत्त्व )- हमारा शरीर पंचमहाभूत तत्व से मिलकर बना होता है, अग्नि
,क्षितिज, पृथ्वी, वायु और अग्नि, से मिलकर स्थूल शरीर का निर्माण होता है, जिसे हम
शरीर और उसके अंग के रूप में जानते है।
2.
सूक्ष्मशरीर - मूल रूप से शरीर में शक्ति के
संचालन करने वाले शरीर को सूक्ष्म शरीर कहते है, हमारा सूक्ष्म शरीर जो निरंतर कार्य
करते रहता है , यह स्थूलशरीर से ज्यादा शक्तिशाली होता है, जैसे श्वास का लेना और छोड़ना,
रक्त का शरीर में बहाना, तीनों तरह के मन का सञ्चालन करना, अंगों के फड़कने के माध्यम से संकेत मिलना, हमारे शरीर में चेतन, अवचेतन, अतिचेतन तीन तहर के मन होते
है, जो सूक्ष्मशरीर के माध्यम से बुद्धि का सञ्चालन करता है, जागरित सूक्ष्म शरीर आत्मा
को सही दिशा देता है और आत्मा को परमात्म से मिलाने में सहयोग करता है। हमारा शरीर बहुत संवेदनशील है। जो भुत , भविष्य
और वर्तमान में घटने वाले घटनो का अनुमान लगने में सक्षम होता है। सूक्ष्मशरीर कुण्डलिया
जागरण, शरीर के आभामंडल, जन्म मृत्यु का बोधा करता है। यह बहुत शक्तिशाली शरीर होता
है। जो अदृस्य रूप से हमारे शरीर में उपस्थित होता है।
3.
कारण शरीर - तीनों शरीर में सबसे शक्ति शाली शरीर होता है, जब व्यक्ति के कुण्डलिया
शक्ति के सभी चक्र जागरित है , तब व्यक्ति को कारण शरीर के शक्ति का आभास होता है।
व्यक्ति साधारण से तत्वदर्शी हो जाता है। उसकी आत्मा का मिलान परमात्मा से हो जाता
है। कारण शरीर के जागरण से वह व्यक्ति सभी पापों से मुक्त होकर सुख दुःख और सभी प्राणी
चर और अचार को सामान रूप से देखने लगता है।
कारण
शरीर को ब्रम्हकमल भी कहा जाता है जब कुण्डलिया का जागरण होता है। तब शरीर में उपस्थित
शिव और शक्ति के मिलान से जो ऊर्जा उतपन्न होता है। उसे शरीर कारण शरीर में प्रेवश
करता है। जिसे बुद्धि का पूर्ण विकास हो जाता है। ऐसे अवस्था में आप अपने आत्मा का
भी दर्शन कर सकते है। आपको भविष्य में होने वाली घटना आसानी से दिखने लगता है। कारण
शरीर के करण व्यक्ति समदर्शी ,तत्वज्ञानी
, तत्वदर्शी हो जाता है।
शरीर के अंगो का फड़कना ( ang fadakne ka matlab kya hota hai )
शरीर
के अंगो का फड़कना मुख रूप से स्थूलशरीर और सूक्ष्मशरीर के गतिविधियों के कारण होता
है। सूक्ष्मशरीर के सूक्ष्म गतिविधियों से नाड़ियों के स्पंदन के माध्यम से हमें जो
संकेत मिलता है , उसके पीछे ज्यादातर सूक्ष्मशरीर का योगदान होता है। स्थूलशरीर बाहरी
शरीर का बनावट होता है जैसे शरीर,मुँह, आंख ,नाक, कान, उँगली, हाथ, पैर, वैसे पूरा
शरीर स्थूलशरीर है, लेकिन स्थूलशरीर, सूक्ष्मशरीर से कमजोर होता है , सूक्ष्मशरीर लगातार
कार्य करता है, जैसे श्वास का लेना छोड़ना, रक्त का बहाना, आतंरिक शारीरक क्रिया, इन्द्रियों,
ज्ञानेद्रियों,नाड़ियो का कार्य करना , मन बुद्धि का संचालन करना इतियादी। आध्यात्मिक
दृष्टि से सूक्ष्मशरीर आत्मा को परमात्मा से
मिलाने में सहयोग करता है।
सूक्ष्मशरीर
के द्वारा हमारे मन, बुद्धि, इन्द्रियों और ज्ञन्द्रियो कार्य के कार्य का अवलोकन और
संचालन किया जाता है। और नाड़ियो के माध्यम से अंगों को स्पंदन कर के हमें भुत भविष्य
और वर्तमान में होने वाले घटना का संकेत मिलता है।
अंग
फड़कने का वैज्ञानिक कारण (
वैज्ञानिक
दृष्टिकोण से रक्त संचरण में अधिकता या रक्त संचरण में कमी और शारीरक कोशिका के बनावट
के कारण शरीर के नाड़ियों में दाब से शरीर के आतंरिक और बाह्य गतिविधियों में बदलाव
के प्रभाव से उतपन्न क्रिया को अंग का फड़कना कहा जाता है।
अंगो
का फड़कना और उसके द्वारा मिलने वाला फल आपके द्वारा किये गए कार्य की तीव्रता और आपके
वास्तविक जीवन में किये गये कार्य पर निर्भर करता है।
आज
के वैज्ञानिक परिवेश में हम इन सभी विचारो को इगनोर करते है, इसके पीछे करना है, हम
सब के मष्तिष्क का विकास केवल अपने स्थूलशरीर तक सीमित रहना है। न कभी सूक्ष्मशरीर और कारणशरीर को जाने की कोशिश
नहीं करते है।
धन्यवाद्...
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